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एक अप्रवासी भारतीय लाला ने राजस्थानी कन्या से विवाह का मन बनाया, और हिंदी की ट्यूशन लगवाया। बोला मास्टर से ऐसा कीजिए, जल्दी से हिंदी सिखा दीजिए। मास्टर ने शार्टकट निकाला, एक दिन में कोर्स निपटा डाला। बोला एक काम कीजिए, अच्छे से गांठ बांध लीजिए। किसी शब्द से पहले लगा हो 'कु' तो अर्थ खराब हो जाए, उसी शब्द में यदि 'सु' लगे अर्थ बदल अच्छा हो जाए। लाला बोला एक कष्ट कीजिए, उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। गुरुजी बोले अभी लीजिए.. जैसे कुप्रबंध - सुप्रबंध. कुयोग्य - सुयोग्य, कुशासन - सुशासन, लाला बोला थैंक्यू श्रीमान, हो गया हमें हिंदी ज्ञान। लाला ने झटपट विवाह रचाया, पहली बार ससुराल आया। माहौल था घर में दिवाली सा, सास बोली पधारो 'कुंवर-सा'। लाला इससे परेशान हो गया, गुस्से से कुछ लाल हो गया। कहने लगा - 'हमें भी हिंदी आती है, लेकिन आपकी बातें हमें कष्ट पहुंचाती हैं। खबरदार आप हमें कभी 'कुंवर' सा कहें, कहना ही अगर जरूरी है तोआगे से हमें 'सु'अर-सा ही कहा करें!'
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